ए - नारी तुम्हे शोभा नही देती अपने हक की लड़ाई तुम खुद ही लड़ लिया करो, यूँ रोती-बिलखती नारी तुम्हे शोभा नही देती। अपने हसी को बरकरार रखने के लिए तुम थोड़ा साहस दिखाया करो, यूँ बेबस- लाचार नारी तुम पर शोभा नही देती। अपनी हर कमजोरी को मिटाने के लिए तुम तन और मन की तैयारी करलिया करो, यूँ कमजोर , दूसरे पर निर्भर नारी तुम्हे शोभा नही देती। अपने हर डर को ख़त्म कर तुम उसकी औकात दिखा दिया करो, यूँ डरी-सहमी नारी तुम्हे शोभा नही देती। नजरे उठा कर जीने का हुनर तुम भी सिख लिया करो, यूँ नजरे झुकाकर मुजरिम सी खड़ी नारी तुम्हे शोभा नही देती। कभी खुदसे भी प्यारा सा वादा कर लिया करो, यूँ गुलाम सी बंदगी ओ नारी तुम्हे शोभा नही देती। पूरी दुनिया को भूलकर कभी तुम भी खुलकर जी लिया करो, यूँ पिंजड़े में कैद नारी तुम्हे शोभा नही देती। अपने सपनों के प्रति कभी तो ईमानदार हो लिया करो, अधूरी इच्छाओं को समेट कर चले जाना, ए- नारी तुम्हे शोभा नही देती। E- naare tumehe shobha nhi deti apane hak kee ladaee tum khud hee lad liya karo, yoon rotee-bilakhatee naaree tum shobh...