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love story

कैसी मुझसे चूक हुई यारो इश्क़ निभाने में 
बेतहाशा चाह कर भी तन्हा रहा ज़माने में 


पूछते तो सब है मेरी ख़ामोशी का सबब 
लब थरथराते है नाम उसका बतलाने में 


दुःख अगर हुआ हो तम्हे कभी  बातो से 
माफ़ कर दीजियेगा ! गलती हुई अनजाने में 



ये वादिया और शेखिया नहीं भाती अब 
दिल जलो को पनहा मिलती है वीराने में 


कभी नाम भर से तेरे आ जाती थी मुस्कान 
अब सुकून नहीं मिलता डूबे है मयखाने में 


तकदीर पे अपनी मै इतराना कैसे छोडू भला 
चाँद रहता था कभी अम्बर के आशियाने में 

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