फ़र्ज़
फ़र्ज़ शब्द हमने बहुत सुना और पड़ा होगा
मगर कभी गंभीरता से नही लिया और अगर जिस किसी ने लिया भी तो वो गलत भावनाओ में लिया
फ़र्ज़ होता किया है यह आज हमे किया पूरी दुनिया को अपने भाई अपने बच्चो आदि सभी को बतना चाहिये की आखिर में फ़र्ज़ किया है हमारा और इसे कैसे इस्तेमाल करना है
अगर मुझसे पूछा जाए की फ़र्ज़ के बारे में हमे कोन बता सकता है तो वो हर एक व्यक्ति है जिसने कभी भी कोई काम किया और उस काम से एक अच्छाई और सच्चाई की और जिसने मदद की उससे पूछो की फ़र्ज़ किया है और सबसे पहले पूछना है तो अपने माँ और बाप से पूछो की फ़र्ज़ किया और हर एक उस व्यक्ति से पूछो जो बुडा हो गया
तो आइये जानते है मेरे शब्दों में फ़र्ज़ का किया मतलब है
फ़र्ज़ वो आपकी जिमेदारी है और आपका कर्त्तव्य है जैसे एक बेटे का अपने माँ और बाप को खुश रखने का कर्त्तव्य है
पहला फ़र्ज़ होता है अपने माँ और बाप को ख़ुशी देने का कियोकी माँ जिसने तुम्हे जनम से पहले अपने पेट में 9 महीने तक उठाकर चलती है और फिर आपको जनम देती है आपको बता नही होगा जब वो जनम देती है किसी को तो उसे कितना दर्द होता है और उसके बाद आपके पिता जिसका दिल बहुत बड़ा होता है और वो आपको सिखाता है आपको अपने कंधे पर बिठा के घूमता है आपको चलना सिखाता है और इस दुनिया लड़के आपके लिया रोटी कमा कर आता है इनका कर्ज वसे तो कभी कम नही होगा परन्तु हमारा फ़र्ज़ है की जब वो बुड्डे हो जाए तो आप उनकी देख रेख करना आपका फ़र्ज़ है
उस के बाद आता है आपके परिवार का
परिवार जिसमे सभी को इखट्टे रहते है और सुख दुःख बाटते है तो हमारा भी फ़र्ज़ है की परिवार को इख्ठा कर के रखने का फ़र्ज़ हमारा और परिवार के हर एक लोग का फ़र्ज़ है
उसके बाद आता है की गुरु के लिए हमारा फ़र्ज़ किया है
गुरु जैसे की शब्द से ही पहचान है गुरु जो हमे सिखाता है की दुनिया में कैसे रहना है और अपने जीवन में आप आगे कैसे भडेगे वो आपको शिक्षा देना है और हमे सबका आदर करना सिखाता है तो हमारा भी फ़र्ज़ होता है की गुरु का सम्मान करे और जो वो सिखाते है उसे मनन से सीखे और गुरु का नाम रोशन करे यह हमारा अपने गुरु के प्रति हमारा फ़र्ज़ होता है
उसके बाद हमारा फ़र्ज़ आता है अपने देश के लिये
देश वो जहा आप रहते है और जहा आपका जनम हुआ
उसे देश कहते है वो कोई भी हो मगर उस देश के नागरिक होने का आपको उस देश के प्रति आपका फ़र्ज़ है की आप देश की सम्मान करे और उसे आगे भाड़ने में आपका फ़र्ज़ निभाए और अपने उस देश के सविधान और हर एक देश के नियम का पालन करना आपका फ़र्ज़ है और अपने देश के लिये अच्छाई की जो भाड़ना आपका फ़र्ज़ है
उसके बाद आता है की आपके खुद का फ़र्ज़
आप अपने आपको पहचानना और अच्छाई की और काम करना और उसे केवल और केवल अच्छाई की और कदम उठाना ही आपका खुद का फ़र्ज़ है
उसके बाद आता है आपके बच्चे के प्रति आपका फ़र्ज़
आपका अपने बच्चे के प्रति फ़र्ज़ है की आप उससे अच्छी शिक्षा देना और बच्चे को हर ख़ुशी देना और नेक रहा में चलना आपका फ़र्ज़ है
अन्तंमें एक ही है आप अपने और अपनों से बड़ो का सम्मान करे और अपने माता और पिता को खुश रखे साथ ही में अपने देश का सामान करे और सभी को कराए
आप सचाई और नेक रहा पर चहले यही हमारी आपसे सन्देश है
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